(व्यंग्य)....आज मैं आपको एक ऐसे गोला के बारे में बताने जा रहा हूं जिसकी चर्चा श्री श्री 1008 आमिर खान पीके प्रकरण में करना भूल गए थे। डिजिटल गोला, जी हां सही सुना आपने जिसमें अति और महा बुद्धिजीवी लोग निवास करते हैं।अपराधी कौन है?अमूमन इसे पता करने में पुलिस,सीआईडी के एसीपी प्रद्युमन एवं क्राइम पेट्रोल के सीनियर इंस्पेक्टर अभिमन्यु जिंदल की तरह महीनों खाक छानते हैं।जबकि डिजिटल गोला में कानून के अलावा सबको पता होता है कि हत्यारा/बलात्कारी/अपराधी कौन है फिर भी गवाह और साक्ष्य के अभाव में ऐसे डिजिटल असमाजिक तत्व लॉजिकल समाज में ससम्मान निवास करते हैं। तो चलिए बिना किसी लाग लपेट के इस गोला पर निवास करने वाले ज्ञानी मानव की महिमा मुंडन मेरा मतलब महिमा मंडन प्रारंभ करता हूं। प्रथम अध्याय में डिजिटल गोला के लॉजिकल कपल की चर्चा करना चाहूंगा।डिजिटल लेडीज़, पति अथवा परिवार से ज्यादा बाबा पर तथा डिजिटल जेन्ट्स, बाप और बेटा से ज्यादा नेता पर विश्वास करते हैं। डिजिटल दुनिया का बेडरुम शयनकक्ष की बजाय समस्या समाधान कक्ष होता है। बेडरुम में बिस्तर पर पति-पत्नी के बीच प्रेम,रोमांस की बजाय देर रात तक घरेलू मुद्दों पर डिस्कशन एवं सोल्यूशन होता है।"अरे छत पर से मंटूआ का पैंट नही उतारे थे जी...धूपा में सूखने के लिए दिए थे...तनिक जाकर ले आइए न रतिया में शीता जाएगा जी। दूध वाले का दो महीने का हिसाब दे दीजिएगा हो, आज भोरे-भोरे पैसा के लिए नाक धुन रहा था...इस महीने भी टीए का एरियर नहीं बनाया का बड़ा बाबू ने...बेगूसराय वाले मामा जी का हर्निया का आपरेशन है परसों,सोच रहे थे मिल आते एकबार...बगल वाली मिश्राइन जो गले का सेट खरीदी थी उसका रेट घट गया है। इस बार धनतेरस में हमहूं एगो खरीद लें क्या...एजी कल आफिस से लौटते वक्त गैस सिलेंडर वाले को बोल दीजिएगा गैस लास्टे जा रहा है...स्कूल फीस के लिए रिंकिया का टीचर फोन किया था जी...आदि घरेलू समस्याओं से पत्नी द्वारा पति को अपडेट कराया जाता है और तत्क्षण यथोचित निर्णय लिया जाता है। इस गोले की विवाहित महिला काफी सशक्त होती हैं। ये भले ही अपने माता जी,जीजा,देवर,दोस्त से घंटों चैटिंग या कॉल पर बतिया ले किंतु इलेक्ट्रॉनिक्स सर्विलांस की तरह इनकी नजर 24×7 अपने पति के मोबाइल चैटिंग पर ही होती हैं। इनको खाना बनाना आवे न आवे लेकिन मुंह बनाना, बात बनाना और पोज़ देकर रील्स, मीम्स आदि बनाना बखूबी आता है। ये काफी जिज्ञासु और खोजी प्रवृत्ति की होती हैं।पूज्य पिताजी द्वारा दहेज के भुगतान पर प्राप्त गृह कार्य में दक्ष नौकरीशुदा पति परमेश्वर से झाड़ू-पोछा सहित तमाम गृह कार्य करवाने वाली सफल स्त्रियां भी "सफलता कैसे पाएं" ? अथवा "जीवन में कैसे सफल होवे" ? गूगल एवं यूट्यूब पर सर्च करती नजर आती है। लॉजिकल धृतराष्ट्र ऐसे ओज पुरुष होते हैं, जिन्हें नंगी आंखों से तो सब कुछ दिखाई देता है फिर भी अंधों सा व्यवहार करते हैं। खाना खा रहे व्यक्ति को देखकर पूछ ही लेते हैं खाना खा रहे हो क्या !कोई बंदा नहाते-धोते दिख जाए तो पूछ बैठेंगे नहा रहे हो क्या! डिजिटल गोला के सौ प्रतिशत विशुद्ध निठल्ले लॉजिकल युवा, व्यस्त दिखने का हर हथकंडा अपनाते हैं। ये आदर्श संसाधन उपभोगी होते हैं। सुर्योदय के उपरांत दिन भर बको ध्यान की मुद्रा में मोबाइल पर नजर गड़ा एवं सुर्यास्त के पश्चात देर रात ऑनलाइन वेबसीरीज देखकर दैनिक नेट पैक का संपूर्ण दोहन कर लेते हैं। दार्शनिक विचार धारा वाले ऐसे धैर्यवान युवा, तल्लीनता से मेन हॉल की सफाई, मच्छर नाशक स्प्रे का छिड़काव, जेसीबी द्वारा गड्ढा की खुदाई आदि कार्यो को घंटो तक खड़ा होकर इस प्रकार अवलोकन करते हैं, मानो अगले ही पल न्यूटन की तरह किसी नये सिद्धांत का प्रतिपादन करने वाले हो। डिजिटल गोला के गृहत्यागी, डिग्रीधारी, शैक्षणिक प्रदेश प्रवासी शिक्षित लॉजिकल नागरिक, चतुर्थवर्गीय कर्मचारी बने न बने किन्तु शिक्षा से पैदल, वारंटधारी,कारागार प्रवासी अशिक्षित नागरिक, शिक्षा मंत्री बनने की भरपूर योग्यता रखते हैं। डिजिटल गोला के मूल होमोसेपियंस काफी पारखी होते हैं।आप कितने भी धनी, गुणी या ज्ञानी क्यों ना हो, किंतु जब तक आप किसी चयन आयोग के एक सौ बीस अथवा डेढ़ सौ वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को गोल घेरे में रंग कर आरक्षण अनुरूप प्रतिशतता के आधार पर परीक्षा पास करके किसी सरकारी नौकरी को हासिल नहीं कर लेते तब तक आप इस गोला के मूल निवासी की नजरों में सामाजिक, पारिवारिक, वैवाहिक, वैचारिक आदि दृष्टिकोण से सुयोग्य नहीं हो सकते। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि समस्त चराचर के अद्भुत, अद्वितीय और अलौकिक डिजिटल गोला पर खद्दरधारी, जुगाड़ी और सरकारी कर्मचारी की ही थाती और ख्याति है।