पटना...राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने गलत तरीके से जमाबंदी करने वाले राजस्व कर्मचारियों पर शिकंजा कस दिया है। सभी डीसीएलआर (भूमि सुधार उपसमाहर्ता) को स्पष्ट कहा गया है कि जमाबंदी पंजी को खुद चेक करें और वैसे सभी खाली पेज को क्रास करें जिन्हें जमाबंदी पंजियों के शुरू और मध्य में खाली छोड़ा गया है। विभाग को 534 अंचलों कार्यालयों में से कई जगहों से जमाबंदी पंजियों में पंजी के शुरू और मध्य में खाली पन्ने मिलने की शिकायत मिली है जिस पर बाद में गलत तरीके से नई जमाबंदी बनाए जाने की आशंका नजर आ रही है। सोमवार को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में डीसीएलआर की बैठक में यह फैसला किया गया।बैठक में विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने सभी डीसीएलआर को अपने अधीन अंचलों की जमाबंदी पंजी को अपने पास मंगाकर ठीक से देखने और उसमें खाली पन्नों को क्रॉस करने का निर्देश दिया। यही नहीं डीसीएलआर को दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया गया और चेतावनी भी कि अगर आपने ऐसा नहीं किया तो आप पर विभाग कार्रवाई करेगा। उन्होंने 10 लाख जमाबंदियों की ठीक से जांच का आदेश भी दिया गया। बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह समेत उत्तर बिहार के सभी डीसीएलआर थे।लंबित म्यूटेशन के मामलों की अलग से समीक्षा करने व दोषी कर्मी की पहचान कर उचित कार्रवाई का निर्देश अपर मुख्य सचिव ने सभी भूमि सुधार उप समाहर्ताओं को यह भी कहा कि तय समय के बाद अंचलों में लंबित दाखिल-खारिज के मामलों की अलग से समीक्षा करें और उसके लिए जिम्मेदार कर्मी की पहचान कर उचित कार्रवाई करें। इस अवसर पर बीएलडीआर एक्ट के तहत डीसीएलआर को रैयती जमीन के मामलों की सुनवाई की भी समीक्षा हुई। अब डीसीएलआर को ऐसे संबंधित मामलों को सुनने और उस पर निर्णय देने का अधिकार है। सुनवाई सिर्फ ऑनलाइन होनी है पर कुछ अनुमंडलों में सुनवाई ऑफलाइन की जा रही है। विभाग ने इस पर कड़ी आपत्ति जतायी है और ऑफलाइन सुनवाई करनेवाले अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया है।सामने आया कि 6 अनुमंडलों मधेपुरा, उदाकिशुनगंज, झंझारपुर, मधुबनी, सोनपुर और बेलसंड के डीसीएलआर ने पिछले 2 महीने में बीएलडीआर एक्ट के तहत एक भी मामले का निपटारा नहीं किया है। 3 अनुमंडलों किशनगंज, मुजफ्फरपुर पूर्वी और मढौरा में मात्र 1-1 मामला निपटाया गया है। विभाग ने खराब परफॉर्मेंस वाले 3 डीसीएलआर को कारण बताओ नोटिस देने और जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है। उसी तरह डीसीएलआर कोर्ट की हालत भी सही नहीं हैं। बेलसंड और झंझारपुर डीसीएलआर कोर्ट में एक दिन ही काम हुआ है। वहीं मनिहारी और मधेपुरा सदर कोर्ट 2 दिन ही चले हैं।