दरभंगा.....हाउसिंग कॉलोनी, लहेरियासराय स्थित हाउसिंग बोर्ड पार्क में श्री श्री 108 संगीतमय राम कथा ज्ञान यज्ञ ,दरभंगा के चतुर्थ दिवस मिथिला के प्रसिद्ध गायिका रोहित चौधरी, शिवानी झा और शोभा भारती के गायन से प्रारंभ हुई ,रोहित चौधरी ने कई मैथिली स्वागत भजन ,श्री राम भजन से श्रोताओं को झुमाया ,वहीं शिवानी झा के भजन काली कमली वाला मेरा यार है से मानों श्रोता नाच उठे, वहीं शोभा भारती के भजन ,राम जी पहुनमा भेलखिन मोर पर तालियां की गर- गड़ाहट से पूरा पंडाल झुम उठा, तत्पश्चात मानस मंदाकिनी दिव्यांशी दीदी को आयोजन के मुख्य यजमान सह अध्यक्ष राजेश सिंह द्वारा स्वागत किया गया, श्रीराम कथा के चतुर्थ दिन सुश्री दिव्यांशी जी ने श्रीराम के बाल्यकाल का वर्णन करते हुए कहा कि जिसका भी अस्तित्व है उसी में राम है। जब तक आत्मा है तभी तक आप हैंं।साथ ही साथ कहा कि दुनिया भर के कौए गंदगी में वास करते हैं परन्तु कागभुशुण्डि जी ने भगवान के जन्म के उपरान्त संकल्प किया कि जब तक भगवान पांच वर्ष के नहीं हो जाएंगे तब तक सब कुछ त्याग, मैं अवघ में ही वास करुंगा तथा राजा दशरथ के महल की मुंडेरी पर बैठ भगवान की बाल लीलाओं के दर्शन कर जीवन धन्य करुंगा। कागभुशुण्डि जी ने संकल्प लिया था कि भगवान के हाथ का जो झूठन गिरेगा वही प्रसाद ग्रहण करूंगा। कथा व्यास दिव्यांशी जी ने कहा कि कागभुशुण्डी जी कोई सामान्य कौवा नहीं थे। उनकी दक्षता का वर्णन करते हुए उन्होने बताया कि भगवान भोलेनाथ जी भी कागभुशुण्डि जी से श्री राम कथा सुनने स्वयं जाया करते थे। आगे की बाल-लीला में भगवान श्रीराम के घर में खेलने और राजा दशरथ के कहने पर माता कौशिल्या द्वारा धूल घूसरित प्रभू को उठाकर दशरथ जी के गोद में डालने का सुंदर चित्रण किया।नामकरण की व्याख्या करते हुए दीदी दिव्यांशी जी ने कहा कि नाम ही मनुष्य का भाग्य, भविष्य तय करता है। प्रभु श्री राम का नाम लेने मात्र से ही मनुष्य धन्य हो जाता है। हमारे समाज में जो बुराइयां व्याप्त है उनका कारण शिक्षा का अभाव ही है, आज जो भारत में शिक्षा दी जा रही है वह संस्कृति के अनुरूप नहीं है। हमारी संस्कृति में शिक्षा धर्म से जोडऩे वाली, त्यागमयी जीवन जीने वाले व दूसरों का हित करने वाली शिक्षा होती थी। बचपन का संस्कार व्यक्ति निर्माण में सहायक होता है। हमारे शास्त्रों में ग्रह नक्षत्र के आधार पर ही नामकरण करने की व्यवस्था थी। श्री राम के नाम करण एवं भगवान श्रीराम के बचपन की लीलाओं का वर्णन किया गया। दिव्यांशी जी ने कहा हिन्दू धर्म में 16 संस्कार बताये गये हैं। इनमें नामकरण संस्कार भी है। यही संस्कार किसी भी बालक के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होते हैं। नाम ही मनुष्य का भाग्य भविष्य तय करता है। पूज्य व्यास जी ने कहा कि नाम भी राशि और ग्रह नक्षत्र के आधार पर होना चाहिए। आयोजन में बतौर मुख्य अतिथि राजधानी पटना से आये राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल उपस्थित थे, वहीं उक्त मौके पर समिति के उपाध्यक्ष ललन झा,शिशिर कर्ण, अवधेश सिंह,प्रिंश सिंह,हेमेंद्र प्रसाद उर्फ दिलीप लाल देव,राम नाथ झा ,अविनाश कुमार कन्हैया, पंकज कुमार झा, अरबिंद सिंह, ,पवन कुमार सिंह, स्वामी नाथ झा,राम दिनेश महथा,सुनील कुमार सिंह,डी एन मल्लिक, के के दत्ता ,निखिल कुमार चौधरी, विवेक मिश्रा, रेखा कुमारी सहित हज़ारों की संख्या मे श्रोता उपस्थित थे।