विशेष / 2023-12-01 21:29:01

विसंगतियों के विरोध में दरभंगा में जोरदार प्रदर्शन व धरना (नासिर हुसैन)

दरभंगा.....बिहार लोक सेवा आयोग की 68 वीं प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की संरचना में किए गए संशोधन में व्याप्त विसंगतियों एवं एम्स निर्माण में हो रही अनावश्यक राजनीतिक साजिश सहित मिथिला मैथिली के विकास में बरती जा रही राजनीतिक कुदृष्टि के प्रति सामूहिक विरोध जताने के लिए हज़ारों की संख्या में विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों के साथ-साथ आम लोगों ने एक मंच पर आकर शुक्रवार को दरभंगा आयुक्त कार्यालय के समक्ष आयोजित विशाल सामूहिक धरना कार्यक्रम में भाग लिया। विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित धरना कार्यक्रम में मिथिला- मैथिली से संबंधित विभिन्न संगठनों सहित अनेक राजनीतिक संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ विभिन्न भाषाओं के लेखक, कवि, साहित्यकार, बुद्धिजीवियों एवं आम नागरिकों ने अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज की।मौके पर बीपीएससी परीक्षा में वैकल्पिक विषय के रूप में मैथिली सहित विभिन्न भाषाओं को महत्वहीन किए जाने के विरुद्ध आवाज बुलंद करने के साथ ही दरभंगा में एम्स निर्माण में हो रही राजनीतिक साजिश और मिथिला मैथिली के विकास में बरती जा रही राजनीतिक कुदृष्टि के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। धरना की अध्यक्षता करते हुए प्रो अयोध्या नाथ झा ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल मैथिली व अन्य भाषाओं को मनमाने तरीके से बीपीएससी में महत्वहीन बनाकर बिहार सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी है कि उन्हें मिथिला-मैथिली के विकास से कोई सरोकार नहीं है। विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं को इस परीक्षा की वैकल्पिक विषयों की सूची से हटाया जाना और मेधा सूची में इन विषयों के प्राप्तांक को नहीं जोड़े जाने का प्रावधान न्याय संगत नहीं है। ऐसा होने से भाषा साहित्य के प्रतिभावान छात्रों को न सिर्फ काफी नुकसान होगा, बल्कि ऐसी भाषाओं के व्यवहार में नहीं होने से धीरे-धीरे वे अपना अस्तित्व खो बैठेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार लोक सेवा आयोग के इस निर्णय को लेकर उन्होंने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी है और उचित न्याय मिलने तक यह आंदोलन जारी रहेगा। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने घोषणा की कि मिथिला व मैथिली के विकास के लिए अब याचना नहीं, रण होगा। मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा की पढ़ाई मैथिली में शुरू किए जाने से कन्नी काटती रही बिहार की सरकार बिहार लोक सेवा आयोग में इस भाषा को महत्वहीन बनाकर उच्च शिक्षा में भी इस भाषा के अस्तित्व को मिटाने का चक्रव्यूह रच रही है। लेकिन वह अपनी इस मंशा में कारगर नहीं हो सकती, क्योंकि मिथिला के लोग अब जाग चुके हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में मैथिली अकादमी सदैव से स्वतंत्र अस्तित्व में रहा है। जबकि विगत दिनों इसके स्वतंत्र अस्तित्व को विघटित कर इसे अन्य भाषाओं के लिए गठित अकाद‌मी के साथ समेकित कर दिया गया है।सरकार का यह कदम संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल मैथिली भाषा के लिए सर्वथा अपमानजनक है। अकादमी के गठन में इसके स्वतंत्र स्वरूप को अनिवार्य रूप से प्राथमिकता दी जानी चाहिए‌।विद्यापति सेवा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डा बुचरू पासवान ने कहा कि बीपीएससी के पाठ्यक्रम में 300 अंकों के वैकल्पिक विषय के रूप में मैथिली सहित पहले से काबिज विभिन्न भाषाओं को स्थान दिलाने तक सड़क से सदन और न्यायालय तक लड़ाई जारी रहेगी। मौके पर प्रो उदय शंकर मिश्र ने बीपीएससी द्वारा मैथिली सहित अन्य भाषाओं के साथ किए जा रहे कुठाराघात को आत्मघाती बताते हुए मिथिला एवं मैथिली के विकास के नाम पर हो रही ओछी राजनीति के विरुद्ध दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं एवं अन्य संगठनों के एक मंच पर आकर इसके विरुद्ध आवाज बुलंद किए जाने का स्वागत किया। क्रांतिकारी नेता जयराम झा ने कहा कि मिथिला एवं मैथिली के विकास में आ रही बाधाओं के स्थायी निदान के लिए अब अलग मिथिला राज्य का निर्माण जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि बिहार की सरकार वोट की राजनीति के नाम पर एकला चलो की रणनीति में कामयाब नहीं हो पाएगी। उनके इस निर्णय के विरुद्ध ईट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा। कांग्रेसी नेता शीत लांबर झा ने कहा कि बिहार सरकार के निर्णय के आलोक में कवि कोकिल विद्यापति के महानिर्वाण दिवस कार्तिक धवल त्रयोदशी पर आयोजित होने वाले 'विद्यापति पर्व' को राजकीय समारोह के रूप में मंत्रीमंडल सचिवालय (राजभाषा) द्वारा राजधानी पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में मनाया जाता रहा है। जबकि 25 नवम्बर 2023 को एक राष्ट्रीय दैनिक के पटना संस्करण में प्रकाशित विज्ञप्ति के अनुसार इस साल इसे दो अन्य साहित्यकारों के साथ जयंती समारोह के रूप में मनाये जाने की सूचना प्रकाशित की गई है। मिथिला, मैथिली के प्रति सरकार के द्वेष की भावना की पराकाष्ठा तो यह कि मिथिला के इस विश्वव्यापी विभूति की पुण्य तिथि को जयंती यानी जन्म दिवसोत्सव के रूप में मनाये जाने की सूचना प्रसारित कर उनका अपमान करने का कुत्सित प्रयास किया गया है। शासन - प्रशासन की यह अज्ञानता जघन्य अपराध है। प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाई पर विशेष जोर दिया गया है। जबकि शिक्षकों की बहाली में मैथिली विषय को सर्वथा नजरअंदाज किया गया है। यह भी मैथिली के प्रति सरकार की असमानता के भाव को दर्शाता है। अन्य विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति के साथ मैथिली के शिक्षकों की बहाली भी की जानी चाहिए। श्याम राम ने कहा कि मिथिला के सांस्कृतिक प्रतीक मखाना को 'मिथिला मखाना' के नाम से जीआई टैग मिल चुका है। बावजूद इसके बिहार सरकार अवैधानिक रूप से विभिन्न अवसरों पर इसे बिहार का मखाना के रूप में दुष्प्रचारित कर मिथिला के साथ हकमारी करना चाहती है। इस पर तत्काल विराम लगना चाहिए । मिथिलावादी युवा नेता मणिभूषण राजू ने कहा कि मिथिला में एम्स का निर्माण करोड़ों मिथिलावासी के बेहतर स्वास्थ्य का परिमाण गढ़ने में महत्वपूर्ण होगा। लेकिन सरकार उसके निर्माण को लटकाने और भटकाने का काम कर करोड़ों मिथिला वासी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़़ कर रही है। इसके निर्माण के लिए सरकार को मनमानी करने से परहेज करते इसे शीघ्रातिशीघ्र स्थापित किए जाने के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। धरना प्रदर्शन के बाद आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपकर आठ करोड मिथिलावासी की भावना से सरकार को अवगत कराते हुए राजनीतिक कुदृष्टि से इसे बचाने एवं इसके सम्यक निदान व मिथिला मैथिली एवं मिथिलावासी के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजने का अनुरोध किया गया। कार्यक्रम में डा गणेश कांत झा, संतोष, विनोद कुमार झा, प्रो चंद्र मोहन झा पड़वा, डा रामसुभग चौधरी, डॉ हेमनारायण राय, चंद्र मोहन झा, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स , बिपिन बिहारी चौधरी, दुर्गानंद झा, ललन झा, प्रो राजकिशोर झा, मिथिलेश कुमार मिश्र, विजय कुमार झा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

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