पटना....अभूतपूर्व या फिर भूतपूर्व,यही है सैनिक का अलंकरण। सभी परिस्थितियों में एक सैनिक अनुशासन के साथ सर्वोच्च तम कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहते हुए, राष्ट्रीय ध्वज की आन बान और शान के साथ हिफाजत करते हुए खुद को न्योछावर कर देता है।ये अल्फ़ाज़ है उस समर्पित भूतपूर्व मेडिकल कोर के कर्नल डॉ आर.के.झा के जिनके सीने में भारत मां आज भी हर पल धड़कती है और सशक्त दीवार के रूप में भारतीय जवानों की रक्षा पंक्ति ने अपनी सीमाओं को अभेद्य दुर्ग बना दिया है।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस का मान-सम्मान वर्तमान के साथ उन भूतपूर्व सैनिकों के लिए प्रासंगिक है जिन्होने अपने आप को सभी देशवासियों की हिफाजत में खुद को समर्पित करने पर गर्व का अनुभव किया। देश की बागडोर संभालने वाले नेतृत्व क्षमता से राष्ट्रीय उत्कृष्टता तो है ही साथ-साथ सामरिक दृष्टि से देश के सैनिकों की राष्ट्रभक्ति भी हमेशा से निर्विवाद रही है। सशस्त्र सेना झंडा दिवस का यह उत्सव, राष्ट्र के नाम एक स्नेहिल पैगाम समान है जब अंशदान का शीर्ष दान कर, जांबाजों को एक पल के लिए आत्मसात करते हुए सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा का नारा,जनता उद्घोषित
करती है। देश के सभी भूतपूर्व सैनिक के सुदीर्घ जीवन की कामना करते हुए, सिविलियन संस्कृति में भी अभूतपूर्व उत्साह का संकल्प लेकर, यशगाथा से
प्रेरित करें।