पटना...बाॅलीवुड के मशहूर फिल्म अभिनेता मनोज बाजपेयी एक बार फिर अपनी दमदार अदाकारी के साथ स्क्रीन पर हाजिर होने के लिये तैयार हैं।इसके प्रमोशन के लिये वह फिल्म ’जोरम’ के निर्देशक देवाशीष मखीजा के साथ बीते दिनों राजधानी पटना पहुंचे हुए थे। जहां इस दौरान पत्रकारों से खुलकर बातचीत की। उन्होंने कई चीजों को साझा किया। फिल्म अभिनेता मनोज बाजपेयी ने बताया कि वह अपने को-स्टार्स को फिल्म की शूटिंग के दौरान मीट-भात बनाकर खिलाते थे। बैगन-आलू का चोखा, परवल की सब्जी आदि चीजें बनाकर खिलाते थे। उन्होंने कहा कि जब भी उन्हें गांव की याद आती है, तो वह ये सारी चीजें बनाते हैं। बिहार में पश्चिमी चंपारण जिले के नरकटियागंज में 23 अप्रैल 1969 को जन्मे बाॅलीवुड के मशहूर फिल्म अभिनेता मनोज बाजपेयी अब किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।
राजनीति में आने के सवाल पर फिल्म अभिनेता मनोज बाजपेयी ने कहा कि उनकी फिल्म ’सत्या’ को 25 वर्ष हो गये हैं, तब से अब तक कई लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुये हैं। जब-जब चुनाव आते हैं मैं फोन उठाना बंद कर देता हूं। क्योंकि, हर पार्टी से कुछ ना कुछ निवेदन आता ही है। पर मेरे अंदर राजनीति का ख्याल भी नहीं आता है। इसलिये मैं उस दुनियां में जाना ही नहीं चाहता, जिस दुनियां के बारे में मुझे पता ही नहीं है। बाॅलीवुड के मशहूर फिल्म अभिनेता मनोज बाजपेयी ने कहा कि बिहार में ’फिल्म सिटी’ लाने से पहले यहां एक फिल्म पॉलिसी लानी जरूरी है, जहां पर लोग बाहर से यहां फिल्म शूटिंग के लिये आ सके। इससे यहां फिल्म का कल्चर बनेगा। जब फिल्म का कल्चर बनता है तो फिल्म स्टूडियो बनता है, वहां के छोटे-छोटे उद्योग उस फिल्म मेकिंग से जुड़ जाते हैं, जिससे उन्हें फायदा होता है। वहां के लोकल कलाकारों को भी फिल्म में काम करने का मौका मिलता है। उन्होंने आगे कहा कि जिंदगी में आगे बढ़ने के लिये भाग्यशाली होना पड़ता है, बहुत प्रतिभावान होने की जरूरत नहीं है। अगर आप बहुत भाग्यशाली हैं और प्रतिभावान नहीं हैं, तब भी आप आगे बढ़ सकते हैं। मेरी परेशानी हमेशा से यही रही है कि क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि जिसमें काबिलियत हो, जिसने संघर्ष करके काम सीखा हो, हम उनको मौका दें जिनको काम आता हो? इस चीज को लेकर मेरे अंदर गुस्सा हमेशा रहा है। क्योंकि, मैं इसको भुगत चुका हूं। यह गुस्सा मुझे कई वर्षों तक परेशान भी करता रहा, पर अब मैंने उस गुस्से को काम पर लगा दिया है।बाॅलीवुड के मशहूर फिल्म अभिनेता मनोज बाजपेयी ने फिल्म ’जोरम’ के बारे में बताया कि उनके कैरेक्टर का नाम दसरू है, जो मुंबई में एक कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करता है। जो अपनी 3 महीने की बच्ची को सुरक्षित स्थान तक ले जाने के लिये भाग रहा है।पुलिस व सिस्टम उसके पीछे पड़ा है। इस यात्रा के दौरान कई सारे राज भी खुलते हैं। जोरम इस छोटी बच्ची का नाम है। 50-55 डिग्री में आयरन कोर की माइन में उन्होंने इस फिल्म की शूटिंग की है। उन्होंने कहा कि यह सिस्टम के मारे हुये लोगों की कहानी है। यह फिल्म उनकी कहानी है, जो लोग अपने जीवन में सहारा तलाश कर रहे हैं।