विशेष / 2023-12-12 19:08:47

कोहबर से कामकाज तक सोनपुर मेला में व्यवहार गत मिथिला पेंटिंग्स की बढ़ी मांग। (विश्वनाथ सिंह)

सोनपुर कोर्ट....विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में जब कभी कला और कलात्मक विषयों पर चर्चा चलती है तो मिथिला पेंटिंग्स की बरबस याद आ जाती है। मिथिला पेंटिंग्स बिहार राज्य के मधुबनी जिले की देन है। मिथिला की पेंटिंग्स इंग्लैंड ,जर्मनी, जापान, अमेरिका सहित अन्य देशों में वैभवपूर्ण ख्याति प्राप्त कर रही है लेकिन हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला में यह सदियों पूर्व से कला के रूप में स्थापित है। मिथिला पेंटिंग्स के राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत दर्जनों महिला कलाकार प्रतिवर्ष सोनपुर मेला आकर अपनी कला का प्रदर्शन करती है। इनके द्वारा देवी- देवताओं, रामायण, महाभारत, श्री- मद्भगवद पुराण के पात्रों, पर्यावरण, नारी समस्या आदि को चित्रित किया जाता है। इस परम्परा में कोहवर, अरिपन, आदि भी समाहित है। मिथिलांचल के चित्रों में सबसे महत्वपूर्ण 'कोहबर' है। कोहबर उस कक्ष को कहते हैं जहाँ वर-वधु को प्रथम मिलन के लिए बैठाया जाता है। कोहबर की दीवारों पर विशेष प्रकार के चित्र बनाये जाते हैं। जैसे बाँस, कछुआ केले का पेड़, मछली तोता, हाथी घोड़ा, चन्द्र सूर्य, हंस, गौर बने रहते हैं। उनमें बांस, केले का पेड़ और मछली वंश वृद्धि के सूचक हैं। मछली कछुआ, सुहाग के हाथी- घोड़े एश्वर्य के सूर्य-चन्द्रमा दीर्घ जीवन के तथा हँस-मोर शांतिपूर्ण जीवन के प्रतीक हैं। मिथिला पेंटिंग्स में मां काली, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, महादेव ,राधा ,कृष्ण,राम,लक्ष्मण,सीता,हनुमान आदि की भी तस्वीरें बनायी जाती हैं और ये सभी कलात्मक तस्वीरें सोनपुर मेला में प्रदर्शनी के रूप में कई जगह लगायी जाती है जहां से इनकी बिक्री भी होती है। मिथिला पेंटिंग्स में मिथिलांचन में व्याप्त कुरीतियों पर भी प्रहार किया जाता है। तिलक- दहेज के खिलाफ व्यथापूर्ण बनायी गयी पेंटिंग्स अत्यन्त मर्मस्पर्शी होती है। ननद- भौजाई को जांते - चलाते, ओखली में कूटते आदि के चित्र भावनात्मक रिश्ते को प्रबल करते हैं। इन पेंटिंग्स को अर्न्तराष्ट्रीय ख्याति दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान मिथिलांचल की महिलाओं की है जो प्रत्येक वर्ष सोनपुर मेंला में आकर अपनी कला बेचती है और प्रचार-प्रसार करती हैं। 'मिथिला पेंटिंग्स' को व्यावसायिक नजरिया मिलने के बाद अप स्थिति यह है कि समस्तीपुर,दरभंगा, सीतामढी पूर्णिया, कटिहार और मधुवनी ( सभी मिथिलांचल) के हजारो महिलाएं इस पेंटिंग्स में दक्षता प्राप्त कर ली हैं। यही कारण है कि सौ साल पूर्व भी और आज मिथिला पेंटिंग्स हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में अपनी एक अलग पहचान बना रखा है। देश-विदेश के लोग मिथिला पेंटिंग्स" खरीदकर प्रतिवर्ष घर ले जाते हैं।

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