पटना.....'कौन जाने किस समय, वक्त का बदले मिजाज' जी हां यह कल तक जुमला की तरह, मध्य प्रदेश की जनता नेता को लगता था लेकिन आखिरकार आज ताश के पत्ते की तरह सभी अनुमान को भाजपा ने ख़ारिज कर दिया और मध्य प्रदेश शासन की चाबी एक सामान्य जनप्रतिनिधि के हाथों में सौंप दी। महाकाल क्षेत्र से विधायक रहे मोहन यादव को सूबे का मुख्यमंत्री बनाते हुए इस
बार फिर से यादव यानि पिछड़े वर्ग की राजनीतिक दांव चलते हुए विरोधियों की चिंता बढ़ा दी है।मुख्यमंत्री मोहन यादव अभी 58 वर्ष के भाजपा कार्यकर्ता हैं उन्हें बतौर विधायक कार्यकर्ता के रूप में महाकाल क्षेत्र में लगभग सभी जानते हैं लेकिन मुख्यमंत्री का पद,उन्हें नयी जिम्मेदारी के रूप में दी गई है।अब उनके मुख्यमंत्री बनते ही उत्तर प्रदेश के अखिलेश यादव खेमे का सत्ता गेम चेंजर बनता दिख रहा है साथ ही बिहार में तेजस्वी यादव की नैया भी बीच मझधार में लगती दिखाई देती है।राजनीतिक विश्लेषक पुनीत छवि नाथ,भाजपा नेता सुनील वर्मा व सुनील सिंह यह कहते नहीं अघाते कि वर्तमान भाजपा की रणनीति में अनुशासित नीति का सभी को इंतजार रहता है। केंद्रीय नेतृत्व की क्षमता का ही परिणाम है कि एक सामान्य भी,शीर्ष पद प्राप्त कर सकता है।बिहार में पिछड़ों की राजनीति करने वाले नेताओं के सामने भाजपा ने एमपी की राजनीति को
दूसरे राज्यों के लिए,रक्षा दीवार बना दिया है।यादवों की राजनीति करने के जुगतार्थियों के सामने मोहन की बांसुरी बजा कर पार्टी भाजपा ने सिंहासन हिला दिया है,यह कहना है भाजपा नेता डॉ.अजय प्रकाश
का। इंतजार करना होगा राजस्थान का।