आस्था / 2024-02-09 19:36:27

वेदानंद शास्त्री की भक्ति भाव से निकली भागवत की धारा, रसपान किया श्रद्धालुओ ने। (गंगेश गुंजन)

दरभंगा...हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी समिति व श्री शारदा इंस्टीट्यूशन लहेरियासराय के संयुक्त तत्वावधान द्वारा शिशिर कुमार कर्ण के आवासीय परिसर में आयोजित ,श्रीमद भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के सातवें व विराम दिवस प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य वेदानंद शास्त्री जी महाराज को संगठन के अध्यक्ष व यजमान शिशिर कर्ण एवं संगठन के कार्यकारिणी अध्यक्ष ललन कुमार झा ने विधिवत पूजन व स्वागत कर व्यास पीठ पर स्वागत किया ,श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन आचार्य श्री वेदान्द शास्त्री जी ने रुक्मिणी- कृष्ण विवाहोत्सव से कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि रति के करुणापूर्ण निवेदन पर भगवान शंकर ने उनके पति कामदेव की प्रद्युम्न के रूप में कृष्ण-रुक्मिणी के पुत्र होने का आशीर्वाद दिए । स्यमन्तक मणि की व्याख्या के साथ भगवान का जाम्बवान् के साथ मल्लयुद्ध एवं उनकी बेटी जाम्बवती एवं सत्यभामा से मंगल विवाह के बारे में बताएं। उसके बाद कृष्ण के संतानों के बारे में बताए। भगवान का वाणासुर, पोण्डक, काशिराज के वध की प्रसंग को बताए। श्री नारद जी का भगवान के पारिवारिक दिनचर्या को देखने की व्याख्या किए । पाण्डवों द्वारा राजसूय यज्ञ के दरम्यान जरासंध का वध भीम के द्वारा करवाए। शिशुपाल का वध, दन्तवकत्र के वध के बारे में बताए, मित्रता के बारे में बताते हुए आचार्य श्री ने श्रीकृष्ण सुदामा की मैत्री को बताया। सुदामा की पत्नी सुशीला की प्रेरणा से सुदामा जी श्री कृष्ण दर्शन के लिए भगवान के दरबार में आए। अपनी विपन्नता में जीतें भी सुदामा जी ने कभी भगवान से सहायता या अर्थ याचना नहीं किए । भगवान ने अपने प्रिय मित्र का आदर भाव में अपनी "ठकुराई"अर्थात् जगतपिता के अस्तित्व को भूलकर अपने चक्षुजल से उनके चरण धोए और बिना याचना' किए ही सर्व ऐश्वर्य दे दिए। मीरा की दृढ़ प्रेम की व्याख्या करते हुए कहा कि मीरा ने अपने कुटुम्ब, जन, धन, ऐश्वर्व, लोक लाज सभी का त्याग कर दिया । भगवान से प्रेम सांसारिक संबंधो एवं सुखों के त्याग से ही संभव है यही बात गोपियों ने।उद्धव को बताया था कि एक ही मन था वो तो कृष्ण में लग गया, अब दूसरा मन कहाँ से लाऊँ जिसे अपनी गृहचर्या में लगाऊँ । पुनः आचार्य ने श्रीभागवत को पुनरीक्षित करते हुए श्री कृष्ण के अन्य लीलाओं का वर्णन करते हुए कथा को विश्राम दिए, अतः प्रभु के लिलामयी गुणगान का चिंतन,मनन और ग्रहण करते रहना चाहिए।उक्त मौके पर 94 वर्षीय आर एस एस के शीर्षस्थ स्वंयसेवक श्रीबल्लभ लाल दास,पवन कुमार कर्ण, संगठन के मुख्य संरक्षक के. के. दत्ता, उपाध्यक्ष अवधेश सिंह, कार्यकारिणी अध्यक्ष ललन कुमार झा,कुमार सौरभ,भाजपा युवा नेता मनीष चौधरी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

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