कृषि / 2024-06-20 11:55:49

वर्षा के अभाव में पेट-खेत पर आफत,किसानों के चेहरे उदास, सरकारी सहायता अभी तक नहीं. (नवीन कुमार)

खगड़िया..शासन मस्त व किसान पस्त।खगड़िया जिले की उपजाऊ भूमि,इन दिनों खुद के भाग्य को सरकारी उदासीनता से जोड़ कर देख रही है क्योंकि भीषण गर्मी में जल ही जीवन का स्लोगन बुलंद करती राज्य सरकार के छोटे -बड़े नुमाइंदे,खुद के कानों में तेल डाल कर सो रहे हैं,नतीजतन किसानों के पेट-खेत पर आफत के मेघ मंडराने लगे हैं। जिले के सिमरा,बोया, रमनिया व गणगौर समेत अनगिनत इलाके के किसानों को ,आकाश की ओर टकटकी लगाते देख,कलेजा मुंह को आ गया।हमेशा मस्त रहने वाले एक किसान बदरूद्दीन ने बताया कि "देहात में यदि किसानी नहीं तो शहर की मौज-मस्ती नहीं इस किसान ने पल भर में शहरी मिजाज को आइना दिखा दिया। यह सच है कि खेती से शहरों का सरोकार नहीं के बराबर है।यदि गांव में खेत में समय पर बाओ(रोपनी)नहीं हो तो सभी भूखे तड़पेंगे।विनोद सिंह, रंजन सिंह, गोपाल सिंह समेत अन्य किसानों के चेहरे पर समय से वर्षा नहीं हो पाने का मलाल देखा गया।मानसून का देर सवेर शासन-प्रशासन को मौसम विज्ञान कार्यकर्ता जानकारी देते हैं,फिर भी इसकी ताकीद नहीं की जाती। कभी चौपाल लगाकर आपसी दुखड़ा रो लेते हैं किसान तो कभी सरकारी दफ्तरों में हुकुमचंद हाकिमों को सुविधा शुल्क के साथ जुगाड़ू बनते देखा जा सकता है ?सड़कों से देख,अपनी बदहाली पर किसान केवल इतनी सी अहम जानकारी दे सके कि "संतोष नदी में आज पानी नहीं रहने के चलते, किसानों ने उसे जोत कोड़ किया है ताकि पानी का उपयोग किया जा सके।कयी खेतों में दरार पर जाने से किसान मायूस हैं। का वर्षा जब कृषि सुखानी पर ग़ौर करने की जरूरत है।

Latest News

Tranding

© NetworldIndia. All Rights Reserved. Designed by Networld