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दिवालिया हो चुके हैं दुनिया के ये 7 देश, जल्द ही बन सकते हैं डिफॉल्टर

दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में जारी उथल-पुथल का जल्द ही एक खतरनाक रूप देखने को मिल सकता है. संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक आला अधिकारी के मुताबिक दुनिया में 50 गरीब देशों पर दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है.

अधिकारी ने कहा कि इन देशों की बर्बादी की प्रमुख वजहों में बेतहाशा महंगाई, बिजली का संकट और कर्ज का भारी बोझ शामिल हैं. UNDP प्रमुख अचिम स्टेनर का 2022 में दिया गया यह बयान आज के लिए भी उतना ही सच है, क्योंकि इनमें से ज्‍यादातर देश आज भी दिवालिया होने की कगार पर हैं.

पाकिस्तान
2023-24 में पाकिस्तान की GDP 374.904 अरब डॉलर रही, जो 2021-22 के 375.44 अरब डॉलर के आंकड़े से भी नीचे आ गई है. इससे पता चलता है कि 2021 के मुकाबले पाकिस्‍तानियों के जीवन स्तर में सुधार के बजाय गिरावट ही आई है. महंगाई जो अगस्त में 9.6% थी, पिछले साल से नीचे की ओर बढ़ रही है.

कर्ज के मुकाबले जीडीपी यानी Debt-to-GDP का अनुपात 80% होने के कारण देश का करीब 60% कमाई आर्थिक हालात सुधारने के बजाय कर्ज चुकाने में ही खर्च हो रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि IMF के बेल-आउट के कारण फिलहाल तो पाकिस्तान अस्थाई रूप से दिवालिया होने से बचा हुआ है. इसके बावजूद लॉन्‍ग टर्म में इसकी आर्थिक हालत का दारोमदार IMF की मदद से किए जा रहे सुधारों की सफलता पर टिका है.

श्रीलंका
अप्रैल 2022 में श्रीलंका अपने 83 अरब डॉलर के कर्ज को डिफॉल्‍ट कर चुका है. इसकी वजह इसका फॉरेक्स रिजर्व घटकर महज 5 करोड़ डॉलर रह जाना रहा. देश की अब स्थिति सामान्य हो रही है. विदेशी फॉरेक्स रिजर्व अब 5.95 अरब डॉलर पर आ गया है, जो तीन साल का सबसे ऊंचा स्तर है. श्रीलंका में महंगाई दर का आंकड़ा सितंबर 2022 के 67% के मुकाबले जबरदस्त तरीके से सुधरा है.

बीते माह यानी अगस्त 2024 में महंगाई दर महज 1.1% रह गई है. हालांकि GDP 2017 के लगभग 94 अरब डॉलर से गिरकर 2023 में 84.4 अरब डॉलर पर आ गई थी. राहत की बात यह है कि जनवरी से जून 2024 के बीच श्रीलंका की GDP बढ़ी है. 2022 और 2023 में 9.5% कॉन्‍ट्रैक्‍शन (सिकुड़ने) के बाद अर्थव्यवस्था अब स्थिर हो रही है. इसके बावजूद देश में चिंताजनक ढंग से बढ़ती गरीबी और कर्ज का बोझ आर्थिक सुधार की राह में बाधा डाल सकते हैं.

बांग्लादेश
बांग्लादेश पर इस समय कुल 156 अरब डॉलर का कर्ज है. यह 2008 के मुकाबले 5 गुना बढ़ चुका है. इसके चलते देश का फॉरेक्स रिजर्व जनवरी 2023 में 32 अरब डॉलर से गिरकर सितंबर 2024 में 20 अरब डॉलर रह गया है. बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक ने पिछले कुछ सालों में देश की करेंसी टका का डीवैल्युएशन भी किया है, इसके बावजूद हालत में कोई सुधार नहीं आया है.

एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) का अनुमान है कि कारोबारी साल 25 में महंगाई दर बढ़कर 10.1% हो जाएगी. इसका मुख्य कारण देश में खाने पीने की चीजों की कीमतें तेजी से बढ़ना है. वर्ल्‍ड बैंक का कहना है कि बांग्लादेश को कर्ज संकट का सामना तो नहीं करना पड़ रहा है. ऐसे में मॉनिटरी रिफॉर्म (मौद्रिक सुधार) और सिंगल एक्‍सचेंज रेट (एकल विनिमय दर) व्यवस्था बांग्लादेश को अपने फॉरेक्स रिजर्व की स्थिति को सुधारने में मदद कर सकती है.

वेनेजुएला
वेनेजुएला का कर्ज मौजूदा समय में 154 अरब डॉलर है, जिसे देश ने 2017 में चुकाना शुरू किया था. चिंताजनक बात यह है कि इसकी GDP 2012 में 372.59 अरब डॉलर से घटकर तकरीबन एक तिहाई रह गई है . GDP 2024 में 102.33 अरब डॉलर पर आ गई है. हालांकि वेनेजुएला बेहतर प्रदर्शन रहा है. पिछले साल अर्थव्यवस्था में 5% की ग्रोथ हुई और इस साल GDP की ग्रोथ रेट 4% रहने की उम्मीद है.

वेनेजुएला के आर्थिक प्रदर्शन में सुधार की वजह काफी हद तक ग्लोबल प्रतिबंधों में ढील दिया जाना है. तेल के मामले में धनी यह देश अब अपने कर्ज को रीस्‍ट्रक्‍चर करने के लिए भी बातचीत कर रहा है. इसके बावजूद देश में जारी राजनीतिक उथल-पुथल और प्रतिबंधों की वापसी की आशंका के चलते वेनेजुएला के कर्ज का बोझ कम होने के आसार नहीं बन रहे है.

अर्जेंटीना
अर्जेंटीना 21वीं सदी में अपना कर्ज चुकाने में तीन बार डिफॉल्ट कर चुका है. इसके ऊपर 400 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है. इसने अतीत में कई बार अपने लोन को रीस्‍ट्रक्‍चर कराया है. पिछली बार यह रीस्ट्रक्चरिंग 2023 में हुई है. राष्ट्रपति जेवियर माइली के आर्थिक सुधारों ने आठ महीनों में देश की सालाना महंगाई दर को 300% से घटाकर 236% कर दिया है. लेकिन यह अभी भी सामान्य के मुकाबले बहुत ऊंचे स्तर पर है.

अच्छी बात यह है कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे ग्रोथ करने लगी है. हालांकि, देश में गरीबी के आंकड़े का स्तर 50% को पार कर गया है. अनिश्चितता भरे आर्थिक माहौल के कारण ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स को 2025 से 2027 के बीच अर्जेंटीना के डिफाल्टर होने की 75% संभावना लग रही है.

जाम्बिया
दक्षिण अफ्रीकी देश जाम्बिया 2020 में अपने यूरो बॉन्ड कर्ज को डिफॉल्ट कर चुका है. इसके बाद इस साल यह अपने 6.3 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज को रीस्‍ट्रक्‍चर करा चुका है. इस सबके बावजूद देश को आर्थिक मोर्चे पर कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. 2023 तक इसका कर्ज जीडीपी के 26% तक पहुंच गया था, जिसे IMF अस्थिर मानता है. इसके अलावा देश को अभी भी कम से कम 3.3 अरब डॉलर के कॉमर्शियल लोन को रीस्‍ट्रक्‍चर कराना है. IMF का मानना है कि कॉमर्शियल लोन की रीस्‍ट्रक्‍चरिंग में विफलता और 2024 के डेट रीस्‍ट्रक्‍चरिंग डील का नाकाम होना जाम्बिया को एक बार फिर से डिफॉल्‍ट के कगार पर ला सकता है.

घाना
घाना पर कुल 44 अरब डॉलर का कर्ज है . यह इसकी GDP का 70.6% है. यह दिसंबर 2022 में अपने ज्यादातर विदेशी कर्जों को चुकाने में डिफॉल्‍ट कर चुका है. इसके चलते देश की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में फंस गई है. कर्ज की लागत और महंगाई में बढ़ोतरी के चलते देश की माली हालत चिंताजनक बनी हुई है. घाना का फॉरेक्स रिजर्व 2021 में 9.7 अरब डॉलर से घटकर 2023 तक 5.9 अरब डॉलर रह गया.

हालांकि अर्थव्यवस्था अब ठीक हो रही है. जनवरी से जून 2024 के दौरान GDP की ग्रोथ रेट का एवरेज 5.8% रहा है. महंगाई भी 2022 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है. IMF का कहना है कि उसके 3 अरब डॉलर के पैकेज ने घाना की अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद की है. हाल ही में 13 अरब डॉलर के डेट रीस्‍ट्रक्‍चर की डील होने के बाद देश की हालत में सुधार संभावनाएं बढ़ती दिख रही हैं.

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